"आप" की लगातार धूमिल होती छवि ......केजरी सरकार के कानून मंत्रियों से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है ,पहले सोमनाथ भारती और अब जितेन्द्र तोमर दोनो ही नेताओं के व्यक्तिगत मामलों से पार्टी की किरकरी हुइ है ,तो वही पार्टी सुप्रीमो शुरुआत में जहाँ अपने नेताओं का समर्थन करते दिखे , तो वहीं मामला तूल पकडते ही पल्ला झाडते नजर आये, आखिर हो भी क्यों न मुख्यमंत्री जी को मीडिया में अपनी छवि को भी तो साफ-सुथरी रखनी है। रही सही कसर मच्छरों ने पूरी कर दी ,मच्छर अपना काम करते रहे और सरकार सोती रही । सरकार असंवेदनशीलता की देहरी लांघ नेतागिरी करती रही और लोग काल के गाल में समाते गये।जब सरकार जागी तब तक काफी पीड़ितों ने अपनो को खो दिया और पार्टी भी अपनी साख को गिरने से न बचा पायी इतना ही नहीं फुलका के इस्तीफे से और पंजाब के असंतोष से भी पार्टी को खामियाजा हुआ है । केजरीवाल सरकार इन दिनों मीडिया में छायी रही जैसा की केजरीवाल चाहते हैं, पर उसकी वजह केजरीवाल नहीं बल्कि मीडिया थी और मीडिया में वजह थी पार्टी की
पेशा पढ़ाना ..... लिखना शौक और ज़रूरत है ।खुल्ला पत्रकारिता ,सामाजिक ऐब और कलम !!😊😊
9/27/2015
9/13/2015
नारी( कविता)
नारीत्व को बचाये रखिये
स्त्रीत्व को जगाये रखिये
हो सत्ता पिता की , घर
मां का नेतृत्व बनाये रखिये
बेटा है शरीर तो बेटी जान
इस अमरत्व को संजोए रखिये
मां जानती है सारे भेद मन के
मां के ममत्व को संभाल रखिये
नि:स्वार्थ प्यार बहनों का,धरती
पर इस सत्यता को बनाये रखिये
स्त्रीत्व को जगाये रखिये
हो सत्ता पिता की , घर
मां का नेतृत्व बनाये रखिये
बेटा है शरीर तो बेटी जान
इस अमरत्व को संजोए रखिये
मां जानती है सारे भेद मन के
मां के ममत्व को संभाल रखिये
नि:स्वार्थ प्यार बहनों का,धरती
पर इस सत्यता को बनाये रखिये
कोरा हिन्दी दिवस( व्यंग्य लेख) 7
मां भारती की बिन्दी ,हिन्दी ...... सच एक समय था जब हिन्दी को मां भारती के माथे माना बिन्दी माना जाता था पर आज हिन्दी को अपने ही घर में पराया बना कर रख दिया गया है ।ये कैसा हिन्दी दिवस जो एक सिर्फ नाम के लिए है ।हिन्दी दिवस कम 20-20 क्रिकेट मैच लगने लगा है ।हिन्दी दिवस मनाओ और निकल लो ।कब तक हम यूँ ही खानापूर्ति करते रहेंगे अपने ही वतन मे लोग हिन्दी बोलने वालों को हेय दृष्टि से देखते नज़र आते हैं ।आज हर मां-बाप की उम्मीद रहती है कि उनके बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोले ,व हर किसी का सपना बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में नौकरी करें जो कि अंग्रेजी के सहारे ही सम्भव है।आजादी के इतने साल बिताने के बाद हम इतना भी नहीं कर पाये कि अपनी हिन्दी भाषा को रोजगार का माध्यम बना सकें। सच तो ये है पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे और अब अंग्रेजी के .........हमारी आने पीढ़ी अंग्रेजी और हिंग्लिश पढते -बोलते, हिन्दी से धीरे-धीरे दूर होती जा रही है और हम हिन्दी दिवस मना पीठ थपथपा रहे हैं। अंग्रेजों को तो हमने एकजुट हो उखाड़ फेका,अब देखना होगा अंग्रेजी की जंजीरों से हिन्दी को कब आजाद करा पायेंगे...!!
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