9/13/2015

कोरा हिन्दी दिवस( व्यंग्य लेख) 7

मां भारती की बिन्दी ,हिन्दी ...... सच एक समय था जब हिन्दी को मां भारती के माथे माना बिन्दी माना जाता था पर आज हिन्दी को अपने ही घर में पराया बना कर रख दिया गया है ।ये कैसा हिन्दी दिवस जो एक सिर्फ नाम के लिए है ।हिन्दी दिवस कम 20-20 क्रिकेट मैच लगने लगा है ।हिन्दी दिवस मनाओ और निकल लो ।कब तक हम यूँ ही खानापूर्ति करते रहेंगे अपने ही वतन मे लोग हिन्दी बोलने वालों को हेय दृष्टि से देखते नज़र आते हैं ।आज हर मां-बाप की उम्मीद रहती है कि उनके बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोले ,व हर किसी का सपना बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में नौकरी करें जो कि अंग्रेजी के सहारे ही सम्भव है।आजादी के इतने साल बिताने के बाद हम इतना भी नहीं कर पाये कि अपनी हिन्दी भाषा को रोजगार का माध्यम बना सकें। सच तो ये है पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे और अब अंग्रेजी के .........हमारी आने पीढ़ी अंग्रेजी और हिंग्लिश पढते -बोलते, हिन्दी से धीरे-धीरे दूर होती जा रही है और हम हिन्दी दिवस मना पीठ थपथपा रहे हैं। अंग्रेजों को तो हमने एकजुट हो उखाड़ फेका,अब देखना होगा अंग्रेजी की जंजीरों से हिन्दी को कब आजाद करा पायेंगे...!! 

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