"आप" की लगातार धूमिल होती छवि ......केजरी सरकार के कानून मंत्रियों से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है ,पहले सोमनाथ भारती और अब जितेन्द्र तोमर दोनो ही नेताओं के व्यक्तिगत मामलों से पार्टी की किरकरी हुइ है ,तो वही पार्टी सुप्रीमो शुरुआत में जहाँ अपने नेताओं का समर्थन करते दिखे , तो वहीं मामला तूल पकडते ही पल्ला झाडते नजर आये, आखिर हो भी क्यों न मुख्यमंत्री जी को मीडिया में अपनी छवि को भी तो साफ-सुथरी रखनी है। रही सही कसर मच्छरों ने पूरी कर दी ,मच्छर अपना काम करते रहे और सरकार सोती रही । सरकार असंवेदनशीलता की देहरी लांघ नेतागिरी करती रही और लोग काल के गाल में समाते गये।जब सरकार जागी तब तक काफी पीड़ितों ने अपनो को खो दिया और पार्टी भी अपनी साख को गिरने से न बचा पायी इतना ही नहीं फुलका के इस्तीफे से और पंजाब के असंतोष से भी पार्टी को खामियाजा हुआ है । केजरीवाल सरकार इन दिनों मीडिया में छायी रही जैसा की केजरीवाल चाहते हैं, पर उसकी वजह केजरीवाल नहीं बल्कि मीडिया थी और मीडिया में वजह थी पार्टी की
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