6/09/2015

बदलाव ( कहानी)

पड़ोस की रह वाली सपना की शादी बड़ी धूम -धाम  ई थी आखिर होती भी यू न घर की बड़ी टी जो थी पर शायद माँ-बाप को छोड़ कर सबको पता था वो कसी  साथ प्रेम सबध  थी खैर शादी ई ..मधुर दापय की शुआत भी हो गई कुछ ही दन  सपना की गोद भरी और यारी सी टी की उन आँगन  कलकारयाँ गूंजी सभी बत खुश  । पर इस बाद  जिंदगी  जो करवट ली उसका अंदाज़ा कसी को न था , सपना का पूव यार फर उस साम आ खड़ा आ और वो न चाह ए अपनी प्रेम कहानी फर शु कर दी दन बी यार की प बढ़ी और एक दन सपना  पत को इसकी भनक लगी उस बाद जो बा आप मन  आ रही  जी हाँ बलकुल वही नह आ सपना  पत  सपना को बच की तरह समझाया उसकी नया वो  जो वतमान  !! शायद वो समझ कर भी समझना नह चाहती थी या उस दल पर उसका जोर नह पर इस उलट सपना इस बात  अनिभ थी की उसका यार ...यार नह एक पुष का छलावा था काश क वो इस हकीकत को समझ पाती । आखिर त्रीका मन सदनाओं ..सभावनाओ..और भावनामक प  हद सदनशील होता  इस नतीजतन वो धोखा खा जाती  ।बात आ बढ़ी सपना उन दन बारा माँ बन वाली थी और पत  खुद आग लगा कर सोसाइड कर की कोशिश की और ज़िदगी की लड़ाई लड़ -लड़ हार गया और गहरी नद हशा  लिए सो गया इस बाद सपना की अली ज़िदगी और सपना  प्रेमी  अपनी नया बसा ली यू की समाज  रह सपना की सरी शादी वो भी पूव प्रेमी  ता जमीन पर ला जैसा था । अब बात क तो समाज  यार और यार कर वालो को आखिर समाज  वीकृत यू नह  ऐ रीत रवाज़ कस काम  जिस जिंदगयाँ ख़म हो जा  खोख दखा मा  या समाज की वसंगतय समात हो जागी ।भारत  तरकी  नाम जगमगा मॉल और ब मंजिला इमारत  आलावा कुछ भी तो नह बदला ...लोग मॉडन ह ल  'लुकंग कूल डूड' कहला ल  पर या इन कूल डूडो की मानसकता बदली   भी एक लड़की या महला को ठीक  ही घूर  जै एक र वाला हाँ पहनावा ओढ़ावा जर मॉडन हो गया । कोई घटना घटती  लोग कुछ दन चच कर  प्राइम टाइम  बहस ...कडल माच और हालात फर वही जस  तस । कुछ समुदाय वष तो इन प्रेम संग  रत  नपट लिए हर सीमा को लाँघ जा  । इन घटनाओ  ऊपर फ भी बनी और इन फमो को लोगो  दल खोल कर सराहा भी पर बात जब कसी बदलाव को अपना की हो तो लोग समाज  आ बढ़  बज़ाय आदकाल  पहुँच जा  ..आखिर बदलाव  बयार  लोग कब बहकर पी न जा  लिए आ आएं ।

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