7/22/2015

साक्षात्कार डॉ गीता शर्मा

केन्द्रीय हिंदी संस्थान ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय,भारत सरकार का एक अंग है जो हिन्दी के सतत विकास के लिये तत्पर है। प्रस्तुत है दिल्ली केन्द्र की क्षेत्रीय निदेशिका प्रो० डॅा० गीता शर्मा से बात चीत के कुछ अंश। ••••

प्र०- आप वर्तमान समय में हिन्दी भाषा को कितना महत्व देती हैं ?
उ०- मेरा मानना है हिन्दी भाषा के महत्व की बात नही है मातृभाषा और अपनी भाषा के महत्व की बात है । क्योंकि भारत ऐसा देश है जहाँ बहुत सारी भाषाएँ बोली जाती हैं। यहाँ हम सहज और स्वाभाविक रुप से हिन्दी की बात करते हैं।अगर हम भारत मे हिन्दी के महत्व की बात करें तो ही होगा जैसे हमारे लिए रोटी,पानी,हवा । भाषा के बिना इन्सान का विकास नहीं हो सकता इसलिए भाषा के महत्व को हम अस्वीकार नहीं कर सकते।

प्र०- अंग्रेजी से हिंदी को कितनी क्षति पहुंच रही है?

उ०-देखिए नुकसान तो दोनों भाषाओं को हो रहा है ।क्योंकि हमें न तो अच्छे से अंग्रेजी आती है और न अच्छे से हिन्दी ।हां मैं मानती हूं हिन्दी का नुकसान हो रहा है जिससे हमारा जो सम्बन्ध हिन्दी भाषा से होना चाहिए नहीं हो पा रहा है । जैसे कोई बच्चा अंग्रेजी वर्ड रट तो लेता है मगर अर्थ अपनी भाषा मे ही समझ पाता है। तो भाषा का जो सम्बन्ध संस्कृति से है वो बेहद ही सम्वेदन शील है ।हमे अपने स्तर पर भाषा की समस्या का समाधान करना होगा पर अपनी ही भाषा मे । दुनिया मे मात्र भारत ही ऐसा देश जहाँ इतनी सारी भाषाएँ और बोलियाँ हैं । दूसरी बात हम हिन्दी को अंग्रेजी की तरह बोलने लगे हैं जबकि हर भाषा का अपना स्वभाव होता है और मूल भावना तभी निकल पाती है जब हम भाषा को उसके स्वभाव के अनुसार उच्चरित करते हैं।

प्र०-संस्थान में किन-किन देशों के छात्र पढ़ते हैं उनके बारे में बताइये•••
उ०-केन्द्रीय हिन्दी संस्थान मे लगभग 20देशो के छात्र पढ़ते हैं ।इसमें से चीन, कोरिया,जापान के बच्चों की संख्या ज्यादा है । मैंने भारतीय और विदेशी छात्रों दोनों को पढाया पर जो भाषा के प्रति प्यार विदेशी छात्रों का दिखता है भारतीय छात्रों मे नही दिखता । हमारे यहां भाषायी संस्कार लगभग खत्म हो चुका है । विदेशी छात्र किसी भाषा को छोटा बड़ा नहीं मानते उनके लिए भाषा की उपयोगिता है । भारत मे हिन्दी के प्रति क्या नजरिया है उन्हें नहीं पता ।

प्र०- हमारे प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी का प्रयोग करते हैं ।विश्व परिदृश्य में इसका क्या प्रभाव होगा?

उ०-यह हमारे लिए गर्व की बात है । यह देश की भाषा का भी गर्व है कि हिन्दी का प्रयोग अन्तराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है । इसके पहले वाजपेयी जी ऐसा कर चुके हैं और उन्होंने कहा था कि यूनाइटेड नेशन में हिन्दी मे बोलना आसान है पर भारत मे नही क्योंकि वहाँ लोग इसका राजनीति करण करते हैं ।जबकि विदेश में भाषा को लेकर राजनीति नहीं की जाती है।

प्र०-हिन्दी की तुलना मे लोग अंग्रेजी को ज्यादा महत्व दे रहे हैं,क्या कहेंगी ?

उ०-देखिए आज भाषा व्यवसाय का उद्देश्य भी है ,आज अनपढ़ व्यक्ति भी यह जानता है कि किस भाषा से उसको फायदा होगा ।इसलिए भाषा को व्यवसाय से जोड़ना पडेगा,क्योंकि अभी हिन्दी को वो स्तर नहीं मिल पाया जो मिलना चाहिए ।भारत सरकार के दफ्तरों,अदालतों मे या सभी जगह हिन्दी का कितना प्रयोग किया जा रहा है।

प्र०- क्या अंग्रेजी एक ग्लोबल माध्यम बन चुकी है ?

उ०- देखिए हर विदेशी को इंग्लिश नहीं आती है ,पर हाँ एक बड़े स्तर पर प्रयोग की जा रही है।

प्र०-क्या हिन्दी भाषा को संरक्षण की जरूरत है ?

उ०-मैं नहीं मानती की संरक्षण की जरूरत है क्योंकि संरक्षण तो हर तरह से है ही । देखिये भाषा एक आदत होती है अगर हमारी शिक्षा नीति और भाषा नीति सही है तो संरक्षण अपने आप मिल रहा है।

प्र०-हमारी संस्कृति को पश्चिमी करण से नुकसान है या होगा ?

उ०-हमारी भारतीय संस्कृति को किसी से खतरा नहीं क्योंकि हमारी संस्कृति कभी सीमाओं से नही बंधी रही उसने लिया भी और दिया भी, हाँ शिक्षा के विकास की जरूरत है क्योंकि शिक्षा के विकास से ही हमारा मानसिक विकास होता है और मानसिक विकास सही होगा तो हम निर्धारित कर पायेगे कि क्या गलत है और क्या सही है। हमारी भारतीय संस्कृति पुरातन काल से जीवित है उसका यही कारण है कि वह बंधी नहीं रही ।आज ये जरूरी है कि समाज ,विश्व जिस तरह से आगे बढ़ रहे हैं अगर हम उनके साथ तारतम्य न बना पाये तो पीछे रह जायेंगे।

प्र०-टीवी,रेडियो ,समाचार पत्रों में जो भाषा प्रयोग की जा रही है ,इसको कितना सही मानती हैं?

उ०-यह निर्भर करता है कन्टेन्ट क्या है ।अगर दूर दर्शन की बात करें तो उसकी भाषा हमेशा से मानक स्तर की रही है ।हाँ जो प्राइवेट चैनल हैं उनकी भाषा स्तरीय नहीं रही मानती हूं ।मैं सही गलत तो नहीं कहु्ँगी पर कहीं न कहीं आज वो परोसा जा रहा है जो लोग चाहते हैं।अगर सही शिक्षा होगी तो लोग अपने आप चुनाव कर सकेंगे क्या गलत क्या सही है।

प्र०-संस्थान के माध्यम से और क्या सुधार करना चाहती हैं?

उ०-ज्यादा तो नहीं बस मेरा सतत प्रयास है कि भाषा का स्तर सुधार पाउं ,और विदेशी छात्रों के साथ हिन्दी भाषा को ज्यादा से ज्यादा विकसित करने में प्रयासरत हूँ ।

प्र०-संस्थान की नई योजनाएँ ?

उ०-योजनाएँ तो सब प्रशासनिक होती हैं ,पर हाँ अभी बहुत कुछ करना बाकी है ,जो किया जा रहा है ।हिन्दी भाषा को कम्प्यूटर के साथ पूरी तरह विकसित किया जा रहा है।

प्र०-आप एक महिला हैं,महिलाओं के लिये क्या संदेश देना चाहेंगी ?

उ०-मेरा आज की माँओ को संदेश कि छोटे बच्चों को हिन्दी भाषा व मातृभाषा सिखाने पर जोर दे नाकि अंग्रेजी क्योंकि माँ बच्चे की पहली पाठशाला होती है ।माँ बच्चे में भाषायी संस्कार डाल सकती है। इसलिए मेरा यही कहना है अपने बच्चों में हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम पैदा कराये ।

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