3/27/2016

मौत ( व्यंग्य कविता)

कोई  मौत  मुस्लमां  बन जाती है
कोई  मौत  दलित  बन  जाती  है
मौत तो नाम से ही बदनाम होती है
फिर भी  किसी  की  मौत  खास
किसी  की आम  बन  जाती है।।

3/04/2016

सतरंगी होली( लेख )

सा रा रा रा जोगीरा....आज न छोड़गे बस हमजोली खेलेंगे हम होली....खेलेंगे हम होली" क्यों आपका भी मन रंगों की दुनिया में डूबकर हिलोरें खाने लगा न! क्या करे ये रंगों का मनचला त्यौहार है ही एैसा हर किसी उम्र के लोगों में एक उमंग और जोश की लहर पैदा कर देता है । आयी रे आयी सतरंगी होली आयी....होली है,जैसे बोल मन में सिहरन सी मचाते देते हैं सच ये रंगों का त्यौहार बड़ा ही मनभावन होता है।राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। राग मतलब संगीत और रंग तो इसके प्रमुख आधार हैं ही, पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं।होली के आगमन से पहले ही मौसम बड़ा ही खुशनुमा  प्रेमावेशमय और उत्साही होता है क्या बड़ा ,क्या छोटा .....क्या चाचा-चाची,मामा-मामी क्या दादा-दादी सब रंगों की मस्ती में डूब जाते  ऐसे में युवा मन की बात ही क्या करना जिनका मन पहले ही इन्द्रधनुषी रंगो से सराबोर होता है।हंसी ठिठोली और रंगों की फुहार अहा! फिर क्या पूछना है अगर उस होली में आप जिसे चाहे उसके साथ होली के रस रंग घुल मिल जाये तो मानो श्रृंगार रस की चोटी में पहुंच कर मन हिलोरें ले रहा हो,काश मन तरंगों की बारिश हो और प्रियतमा का पल्लू रंग से सराबोर हो  तो ऐसे में अभिनेता अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया गाना "आज रपट जाये तो हमे न छुडाइयो" सभी होली रस में डूबे प्रेमी दिलों को खूब भायेगा।भीनी-भीनी अबीर और गुलाल की खुशबू उसमें गुझियों की मिठास लोगों के दिलो की दूरियो को मिटा कर मिलन को प्रेरित करता त्यौहार.......नीले -काले-पीले-हरे-गुलाबी चेहरों में ढूंढ कर अपनो से गले मिल खुशी बाटने को दिल आमदा हो जाता है। ढोल मंजीरो की थाप होली के उत्साह को दुगना कर देती हैं। भारत की संस्कृति मे त्योहारो के पीछे हमेशा भाइचारे का मकसद रहा है। होली को भारतीय कवियों ने भी अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से मनोभावों को लोगों तक पहुंचाया है।कवियों ने जहाँ एक ओर नितान्त लौकिक नायक नायिका के बीच खेली गई स्नेह और प्रीति की होली का वर्णन किया है, वहीं राधा कृष्ण के बीच खेली गई प्रेम और छेड़छाड़ से भरी होली के माध्यम से सगुण साकार भक्तिमय प्रेम और निर्गुण निराकार भक्तिमय प्रेम का दर्शा डाला है।कहीं रंगीन टोलियाँ गुजरती हैं तो कहीं एक-दूसरे को रंगते लोग और कोइ बिना रंग हुआ दिख जाये तो( भले ही उसको न जानते हो) पर उस इंसान को रंग अपने जैसा रंग -बिरंगा बनाने के लिये मैराथन भी करनी पड़े तो लोग पीछे नहीं हटते।
उत्तर भारत में होली का विशिष्ट महत्व रहा है। विशेषतया ब्रज की होली बहुत ही प्रसिद्ध है‚ जहां फाल्गुन मास के आरम्भ के साथ ही गलियों में फाग और रसिया की मधुर लय सुनाई देने पड़ती है‚ मन्दिरों में श्री कृष्ण और राधा की मूर्तियों को रंगमय परिधानों में सजाया जाता है‚ मन्दिरों के द्वार और गर्भगृहों में गुलाल के रंगों की सजावट देखते बनती है।
 आज के आधुनिक समय में होली ने अपना महत्व तो नहीं खोया किन्तु इसका स्वरूप कहीं न कहीं नुकसान हुआ है या बिगड़ा अवश्य है। समय का अभाव और आधुनिकता की दौड़ में इस त्यौहार के मूल उद्देश्य कहीं पीछे छूट गये हैं‚ और रह गया है रासायनिक रंगों का मनचाहे उपयोग और रेडीमेड मिठाइयों के सामने …टेसू के फूलों के बने प्राकृतिक रंग…और गुझिया का स्वाद लोग भूलने लगे हैं। होली पर अपने दिलों से वैमनस्य दूर करने की जगह लोग इसे बदला लेने का माध्यम बनाने लगे हैं। किन्तु होली हमारे लोकजीवन के मूल में है‚ हमारी संस्कृति‚ भारतीयता का अभिन्न हिस्सा है। इसका महत्व कम नहीं हो सकता। हमारी भारतीय फिल्मों पर भी होली का खूब असर दिखायी देता है और हम इन फिल्मी गानों का। कुछ गानों जैसे"रंग बरसे भीगे चुनर वाली"के बगैर तो  हमारी होली अधूरी ही रह जाती है.....सच हमारे त्यौहार,हमारी परम्पराये ही हमारे स्वास्थ मानसिकता व स्वास्थ जीवन का आधार हैं।
     होली क्यो मनाते हैं
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भारत के हर राज्य अलग-अलग ढंग होली मनायी जाती है जिसका एक ही उद्देश्य होता है सारे गिले-शिकवे दूर कर प्रेम का वातावरण तैयार करना।होली मनाये जाने के पीछे काफी कहानियाँ पर जो मुख्य रूप से जानी जाती है वह ऐसी है किहोली से सम्बन्धित कई दंत कथाए प्रचलित है। होली की पूर्व संध्या को होली जलाई जाती है। इससे सम्बन्धित एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार कहा जाता है कि प्रह्लाद के पिता राजा हिरण्य कश्यप स्वयं को भगवान मानते थे व विष्णु के परम विरोधी थे परंतु प्रह्लाद विष्णु के उपासक थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की पूजा करने से रोका जब वह नही माने तो उन्होंने उसे मारने के अनेकों प्रयास किये लेकिन सभी प्रयास असफल सिद्ध हुए। अपने प्रयासों में असफल होने के बाद उन्होंने अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई।  होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था इसलिए होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई। इस प्रकार यह कथा इस बात की तरफ संकेत करती है कि बुराई पर अच्छाई की विजय अवश्य होती है। आज भी पूर्णिमा को होली जलाते है और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल और कई प्रकार के रंग डालते है। यह त्यौहार रंगों का त्यौहार है। इस दिन प्रातः काल उठकर लोग रंगों को लेकर अपने रिश्तेदारों, दोस्तों, सगे सम्बन्धियों के घर जाते है और जमकर होली खेलते है। ब्रज की होली पूरे भारत में लोकप्रिय है। ब्रज के लोग राधा के गांव जाकर होली खेलते है। मन्दिर कृष्ण भक्तों से भरे रहते है। 
               
               वर्तमान परिदृश्य में होली
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                  आज आधुनिक परिवेश में लाोग त्यौहारों का उद्देश्य भूल चुके हैं या कहें कि सिर्फ एक कार्य समझ कर त्यौहारो को निपटाया जाता है तो गलत नहीं होगा।सभी जगह आर्टिफीशियल का प्रभाव बढ़ता जा रहा है भले वह गुझियों की मिठास हो या रंगों की रंगीनियत हो व हमारे दिलो में भरे वैमनस्य हो ! क्यों न हम फिर से अपनी पुरानी वास्तविकता पर लौट आये सब कुछ देशी हो गुझियों की मिठास भी, रंगों में फूलों रंगत व हमारे दिलो में सारे द्वेषो को मिटा कर सिर्फ प्यार ही प्यार बहता रहे....बहता रहे....बहता जाये

रोडमल नागर जी-साक्षात्कार

प्र०-संसद की कार्यवाही पर गतिरोध कर रही है कांग्रेस क्या कहेंगे ?
उ०-निरर्थक है कई मतलब नहीं का कांग्रेस इस बात को मानने को तैयार नहीं कि वो सत्ता से बाहर हैं।उनको लगता है सारी दुनिया उनके हिसाब से चल रही है या चलती रहेगी जबकि यथार्थ वो मान ही नहीं रहे और साथ-साथ खुद का नुकसान कर रहे हैं।
प्र०-मोदी सरकार के 18 महीने की उपलब्धियाँ जिनको आप मानते हो बताइये
उ०-सबसे बड़ी उपलब्धि है देश को एक संदेश और वो संदेश है कि हर आदमी को लगा कि उसे अपने पैर पर खड़ा होना है दूसरी बात चाहे जन-धनयोजना हो चाहे अटल धन योजना है,चाहे पेंशन योजना हो ,चाहे एक कदम स्वच्छता की ओर हो उनका ये मतलब की सिर्फ स्वच्छता नहीं ,जैसे हमने थूक दिया या कीचड़ हो इसमें एक कदम स्वच्छता नहीं इसमें आचरण की भी स्वच्छता है।व्यवहार की भी शुचिता ,वाणी की भी शुचिता,जीवन के हर क्षेत्र में एक कदम आगे और ये संदेश सिर्फ भारत से पूरी दुनिया में जा रहा है और आम आदमी इससे गौरवान्वित और प्रफुल्लित होता है।जन-धन योजना क्या है सिर्फ 5000 ही रुपये नहीं है,बल्कि ये सीधे उनके खाते में गया पहले सरकार 10 पैसे देती थी जनता के पास 1पैसा मिलता है तो ये सारी योजनाएं हैं जो मोदी सरकार की उपलब्धियाँ हैं।
प्र०- विपक्ष पार्टियाँ मोदी जी के बाहर जाने को लेकर कटघरे में खड़ा करता रहता है क्या कहेंगे?
उ०-देखिए विपक्ष के बारे में इस समय बात करना..... क्या कहे बड़ा संकोच होता है क्या उनकी सोच है ....क्या उनकी दृष्टि है यह उनको समझना चाहिए क्यों जा रहे हैं,किस लिये जा रहे हैं अरे भई देश के लिए जा रहे हैं।
प्र०-नेशनल हेराल्ड मामले में पहले कांग्रेस का मत था अब सरकार का इसमें क्या मत है?
उ०-सरकार की नेशनल हेराल्ड मामले में अपना कोई तर्क नहीं है यह न्यायालय का काम है ।ये न्यायालय के काम पर उंगली उठा रहे हैं।न्यायालय  को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।संसद में इस मामले को लेकर अराजकता फैला रहे हैं ।न्यायालय के फैसले पर संदेह कर रहे हैं ।इसमें सरकार की भूमिका कहा है ये जबर्दस्ती का मामला बना रहे हैं।
प्र०-अभी CBI का छापा जो दिल्ली  सरकार के आफिस में पड़ा है उसमें केन्द्र सरकार के ऊपर आरोप लगे कि वो जेटली को बचाने के लिए ये सब कर रहे हैं,क्या कहेंगे?
उ०-अब देखिए साहब केजरीवाल तो केजरीवाल साहब हैं उनके बारे में क्या कहे ये उनका पांचवां स्टैन्ड है वो सुबह कुछ और कहते हैं ,दोपहर में कुछ और कहते हैं ये सब उनका यू टर्न कोई मतलब नहीं है एक भ्रष्ट अधिकारी था जिसकी जांच चल रही थी दुनिया को भी पता था क्या हो रहा है ये सारी बातें मीडिया भी जानती थी और जांच चल रही है तो न सरकार घेरे में है न केजरीवाल सरकार घेरे हुए है ,घेरे में है तो सिर्फ वो अधिकारी इनको क्यो तकलीफ हो रही  है।CBI के अधिकारियों ने साफ किया है हमारी सरकार ने कोई फाइल नहीं उठवायी सिर्फ अधिकारी से संबंधित कार्यवाही थी।दिल्ली की जनता झांसे में आकर इन्हें सत्ता तक ले तो आइ पर पछता रही है।सुबह सेलेकर शाम तक इनके पास झूठ अलावा  कोई काम नहीं।अब इनका अधिकारी फंस रहा है  तो अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं।
प्र०- म०-प्र० सरकार की सरकार क्या उपलब्धियाँ है,उस पर क्या कहना है आपका ?
उ०-म०-प्र० सरकार हमारे शिवराज सिंह जी की खुली योजनाएं हैं म०-प्र० राज्यों में सबसे बड़ा राज्य है और वहाँ जो भूमि है लगातार कृषि क्षेत्र में तीसरी बार पुरस्कार मिला है ।  कृषिक्षेत्र में 10% की ग्रोथ म०-प्र० की है दुनिया में कहीं पर भी नहीं है।इतनासूखा,बाढ़,अकाल के बाद भी इतने अच्छे हालात हैं।इस बार भी पुरस्कार लिस्ट में M.P. का नाम है। इसका सीधा श्रेय हमारे मुख्यमंत्री को है ।वो बहुत ही संवेदनशील हैं ।राज्य में पानी की जबर्दस्त व्यवस्था है हर खेत को पानी हर किसान को बिजली मिले ये व्यवस्था की गयी है।अटल ज्योति योजना से हर किसान को लाभ मिले ये देखा  गया ।राज्य में सिंगल फेस बिजली 24 घंटे मिलती है इससे अच्छा क्या होगा।
प्र०-महाराष्ट्र में निकटवर्ती BJPसरकार है वहाँ किसानों की आत्महत्या के बहुत मामले सामने आए हैं....राष्ट्रीय स्तर पर किसानों को लेकर क्या नीति बननी चाहिए
उ०- देखिए राष्ट्रीय स्तर पर जरूर एक अच्छी नीति बननी चाहिए क्योंकि कृषि एक ऐसा क्षेत्र जो भारत को आगे लेकर जा सकता है और समाज का भला हो सकता है। हमारी सरकार अभी राष्ट्रीय कृषि मंडी योजना लेकर आ रही है ।एक जगह लाइसेंस लेकर व्यक्ति कहीं भी सामान खरीद बेच सकता है ।पूरेदेशभर में जहाँ चाहे यूनिवर्सल लाइसेंस बनेगा आनलाइन होगा किसानों को वाजिफ दाम मिलेगा ।पूरेदेश में सभी नदियों को जोड़ने का भी काम चल रहा है अभी सबसे पहले म०-प्र० में नर्मदा को जोड़ा हैक्षिप्रा से उसमें बड़े क्षेत्र में लाभ हुआ  पेयजल व कृषिक्षेत्र में भी लाभ मिला दूसरे चरण में केन और बेतविको जोड़ने का कार्य किया जाएगा तीसरे में नर्मदा,पार्वती चलेगा तो म०-प्र० व केन्द्र सरकार इसमें मिलकर काफी अच्छा कर रही हैं ।बिजली ,सड़क,शिक्षा,चिकित्सा के क्षेत्र में जो मूल आवश्यकताएं हैं उस पर काम किया जा रहा ।सौर ऊर्जा के प्लान्ट में बल दिया जा रहा है । काम युद्ध स्तर पर चल रहा है और अच्छे परिणाम आयेगे।
प्र०-आपके संसदीय क्षेत्र में 18 महीने में क्या-क्या उपलब्धियाँ हैं बताइये
उ०-हमारी उपलब्धियाँ में हमारे क्षेत्र में रेलवे का सिंगल ट्रैक था उसके दोहरीकरण व विद्युतीकरण के लिए हम पीछे पड़े हैं। उसका सर्वे  हमने करवा लिया है रिपोर्ट बनकर तैयार है आनी बाकी है आ जाये तो गुना और भक्क्षी जो लाइनें हैं इसका दोहरी करण व विद्युतीकरण हो जाये। दूसरा रामगज मंडी से उज्जैन इस लाइन को हमने बजट पर लेनेका आग्रह है,गुना से लेकर अरहा तक ,त्यावनो से लेकर वीना तक का भी सर्वे हो चुका है। नेशनल हाइवे में आगरा बाम्बे हाईवे का भूमि पूजन होने वाला है किसी वजह से अभी रुका पड़ा है रे काफी दिनों से टल रहा था चार लेन का है तो काफी अच्छा रहेगा।155 km का टोटल कंक्रीट बनने वाला है हमारे क्षेत्र में NH-3,NH-10 मुख्यमंत्री सडक,ग्रामीण सड़क इस तरह से ये सब कार्य हो रहे हैं ।मेरे क्षेत्र,सड़क,बिजली ,पानी,शिक्षा,स्वास्थ्य की अच्छी सेवाएं देने को लेकर हम चल रहे हैं।
प्र०-संसद सत्र में कौन-कौन  प्रश्न आपने उठाया ?
उ०- ये तो उठाते रहते हैं अभी अपने क्षेत्र में पर्यटन के लिए बात की,इसके बाद मंडी के लिये था आकाशवाणी केन्द्र के लिए प्रश्न उठाये थे।
प्र०- अभी देखिए गुजरात उपचुनावो में BJP को नुकसान हुआ क्या कहेंगे?
उ०- चुनाव जो होते हैं उसके लोकल मुद्दे और स्थितियां-परिस्थितियां रहती हैं। ये हार -जीत तो चलती रहती है,लेकिन हां ये समझना होगा कि जनता का जनादेश हमारे खिलाफ गया है कहा हमसे चूक हुई है देखना होगा,ठीक है इसकी समीक्षा करेंगे।

भैरो मिश्र सांसद साक्षात्कार

प्र०-विपक्षी पार्टियाँ असहिष्णुता का मामला चुनाव के समय पर उठा कर समाज में फूट डाल  राजनीति करता है।क्या कहेंगे
उ०-देखिए कांग्रेस के पास कोई मुद्दे तो हैं नहीं वह अनावश्यक मुद्दे उठाकर चर्चा में बने रहना चाहती है उन्हें पता है देश का जनाधार उन्हें नकार रहा है इससे उनमें घोर निराशा है तो कोई न कोई मुद्दे उठाकर सरकार के कामों में अडंगा डालने का काम करते हैं।
प्र०- केन्द्र सरकार जिस तरह से काम कर रही है आप संतुष्ट हैं या कुछ बदलाव लाना चाहते हैं ?
उ०-केन्द्र सरकार पूरी तरह जिम्मेदारी से काम कर रही है और पूरी क्षमता से कार्य कर रही है ,हां विपक्षी पार्टियाँ खासकर कांग्रेस सहयोग करें तो लम्बित विधेयक जैसे GST का विधेयक व अन्य विधेयक पास हो जाते जिससे देश को आर्थिक रुप से प्रगति में सहायता मिलती और  विकास दर जो विषमताओं के बावजूद,प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद भी जो विकास दर हमारी सर्वोपरि बनी है वो और भी ऊपर जाती।
प्र०- कांग्रेस का आरोप है कि जब आप लोग विपक्ष में थे तो आप लोग भी ऐसा करते थे क्या कहेंगे?
उ०-ऐसा नहीं है कुछ मुद्दे होते थे जिनको उठाना विपक्ष का दायित्व होता है हमने अनावश्यक मुद्दों को तूल देने का काम नहीं किया। कोल का मुद्दा हमने उठाया जिसका करोड़ों का घोटाला निकल कर आया जिससे देश का कितना नुकसान हुआ ,अब जैसे उनके ऊपर कोर्ट का मुकदमा हुआ क्योंकि इन्होंने जमीनों के घोटाले किये अब इसमें हमारी पार्टी का क्या कसूर उसको लेकर संसद सत्र चलने नहीं दिया तो जनता ये सब देख रही है।
प्र०-विहार में जातिगत समीकरण के चलते चुनाव नहीं जीत नहीं सके इसका प्रभाव उ०-प्र० में कैसे देखते हैं?
उ०- विहार में शुरुआत से ही पता चल गया था वो दोनों ही विपरीत ध्रुव थे और दोनों ने अपनी-अपनी जाति संगठन खड़ा कर रखा था और लालू तो पूरी तरह ही जाति आधारित राजनीति करते हैं दोनों जब साथ आये तो पता चल गया था कि क्या होने वाला है और वही हुआ पर उ०-प्र० के हालात बिलकुल उलट हैं।उ०-प्र० की जनता भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी के चलते पिस रही है,तो जनता सब समझ रही है और मुझे पूरा विश्वास है दो,तिहाई बहुमत के साथ हम आयेगे।

कि आओ अब...( व्यंग्य कविता)

के अब आओ  एक कान्धे की
बहुत जरूरत  है,
कत्ल करने को  कान्धा  दूसरा
चाहिए।
के अब फितरत में दुश्मनी का
जज्बा बहुत  है,
आग  लगाने को, एक  चिंगारी
चाहिए।
के अब भले हैं सांप, उन्हे दूध की
जरूरत बहुत है,
इंसा डसते पल-पल,के उन्हें अब विष
चाहिए।

मेरा मन मैगी( व्यंग्य लेख)

मेरा मन कभी भी बिन सच्चाई बतंगड़ नहीं बनाता हालांकि बतंगड़ हमेशा बिन सिर-पैर की बातों का होता है अब मेरा मन मेरे जल्दबाज़ रवैये पर अटका है और हो भी क्यों न!! सच  कभी-कभी मेरा मन दो मिनट में बनने वाली मैगी की तरह ही हर काम के लिए फटाफट खडा हो जाता है या यूँ कहूं कि आज के दौर में सभी मनो के विचारों का यही हाल है। मष्तिष्क की शिराओ से कहता हुआ विचार बस क्षण भर मे परिपक्व हो जाता है वह अपने गंतव्य तक गतिशील भले ही न हो पाये यह विचार शीलता की गति नही और न ही किसी मनुष्य के होनहार होने की निशानी आधुनिक बाजारवाद के उन्माद का असर ही बिना जरूरत और उपयोग विहीन वस्तुओ का जमावड़ा हमारे तैयार मनो का निष्कर्ष है ।क्षणभंगुरता ने हमारे समाज ,हमारे व्यक्तित्व पर जम कर हावी है ।हर काम का शार्टकट बना दिया गया है और नहीं बना तो बनाया जा रहा है। यह फंडा हमारे मन मष्तिष्क को लंगडा और लूला बना चुका है ।सोचने वाली बात है हमें किस बात की जल्दी है । इस जल्दी की बीमारी ने हमारे खान पान की चीज़ों में भी जल्दी ......दो मिनट में पाने वाली मैगी की जगह 30 मिनट लगा कर रोटियां या कोई भारतीय व्यंजन क्यों नहीं बना सकते जो सेहत के लिये सही है ।सभी को कहते सुना जाता है बड़ी भागम-भाग है ।यह भागम-भाग किसकी बनायी हुई है ?  मेट्रो ट्रेनों में....मेट्रो में भागकर चढ़ते लोग यूँ दर्शाते हैं जैसे यह जीवन की आखिरी मेट्रो है चढ लो वरना जीवन भर प्लेट फार्म में गुजारना होगा। दूसरा देखे कान को मोबाइल से चिपका या हेलमेट में घुसा दोपहिया वाहन चलाते लोग शायद इस प्रकिया के तहत अपना समय बचा रहे होते हैं ।कभी-कभी मैं खुद भी ऐसा करती हूँ और फिर खुद सवाल भी कि ऐसा मैं क्यों करती हूँ ? और निरूत्तर सवाल सहित पुनः वैसा ही करने लगती हूँ ।शायद इन सब के पीछे बाज़ारवाद का गहराता जाल है । हर काम को शार्ट करने के शार्टकट तरीके उपलब्ध हैं ।आनलाइन खरीदी जिससे थोक व खुदरा व्यापारियों के दिन का चैन और रातों की नीद गायब कर रखी है। टी वी ,रेडियो ,समाचार पत्रों आदि परआने वाले विज्ञापनों के आफर व स्कीमें इतनी लोक लुभावनी होती हैं कि देखने वाला उत्साही होकर यकायक दो मिनट में बनने वाली मैगी की तरह तैयार हो जाता है ।सच आज का युग शार्टकट का जमाना है ,सवाल उठता है क्या मनुष्य चित्त में ये जल्दबाजी नैसर्गिक है ?क्यों हर चीज़ को तुरंत पा लेना चाहता है ।मशीनीकरण के युग में इन्सान पूरी तरह मशीन बन चुका है।बनाने वाले ने क्या खूब विग्यापन बनाया मिन्टोस खाते ही बुद्धि जल उठती है भई हो भी क्यों न मैगी के जमाने में मिन्टोस से ही बुद्धि आ सकती है बादाम से नहीं।पहले के समय में खतो के जरिए महीनों में मिलने वाले हाल चाल से संतुष्ट हो जाने वाले लोग अब फोन काल के न लगने पर या एक बार काल करने पर फोन का न उठना में  सेकेंडो में मन व्याकुलता पैदा करता है।मैगी वाली पीढ़ी अब कम मेहनत ही सब पा लेना चाहती है ।कई विद्वानों के द्वारा कहा गया है " धैर्य से सब कुछ हासिल किया जा सकता है "पर अब तो फंडा बिलकुल ही अलग है जो जितनी जल्दी में उसको उतनी जल्दी सब कुछ हासिल है और यदि नहीं हासिल है तो हासिल करने की जल्दी है।इंटरनेट के जमाने में मेट्रो के बजाय बैलगाड़ी से चलना कहा की बुद्धिमत्ता है ।मुझे तो यह भी  सोचने में हैरानी नहीं होती कि आने वाले समय में इंसानों के नौ माह में जन्मने वाले बच्चे दो माह में ही अवतरित हो जायेंगे क्योंकि जल्दी का जमाना है वो क्यों देर करें। टीवी पर आने वाले प्रचार आज के जल्दबाज इंसानी जज्बात से प्रेरित हैं या इंसानों को जल्दबाजी के लिये प्रेरित करते हैं। आज हमारे हर वाक्य में जल्दवाद विचारधारा काम कर रही है और शायद "जल्दबाजी "का काम शैतान का काम " के श्लोगन को बदल कर रख दिया ।कुछ नहीं ये तो वक्त के फेर का असर है।इसी जल्दवाद का असर कि हम आजकल अक्सर धोखा खाते हैं खैर इसका थोडा साकारात्मक असर यह भी कि अब इंसानी जज्बात  किसी बात या मुद्दे को लेकर बहुत देर तक व्यथित नहीं रहता है क्योंकि उसको अपने व्यथित जज्बातो को पीछे छोड़ आगे बढने की जल्दी रहती है ।अगर कोई गम्भीर मुद्दा न हो जिससे मेरा या हम इंसानों को निजी नुकसान न हो तो हम हर सुबह जागने के बाद  पिछले दिन की घटी घटनाओं को भूल कर उठ जाते हैं ऐसा हम जानबूझकर कर नहीं करते ये हमारे मन मैगी का ही असर  होता है।अब हम लोगों का मन दूर की कौड़ी नहीं खेलता, सांप -सीढ़ी जैसे गेम खेलता है जाने कब चढ जाये और पता नहीं अगली ही चाल में डस दिये जाने पर सर्र से नीचे सरसरा कर धडाम हो जाये।इन सब का असर सोचती ये मन मैगी कहीं रोबोट से भी आगे न निकल जाये !!

गुमराह धर्म,लगडा समाधान( अवधी व्यंग्य कविता)

कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय।
ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय॥(कबीर)

कबिरा कहि के चले गये ,अब हमहु देइ समझाय।
मार काटि अब तौ बंद करौ,अब जिव गयो अघियाय।।

कौ तक करिहौ मार काट ,बेशर्मी मा उतराय।
भाई नहीं भाई क्यार,औ सब बन बइकल उतराय।।

बन शेर शाह सूरी औ राणा प्रताप बहुत लिन्हेव गंगाय।
अरे कवै बनिहौ इंसान,समाज मा ज्यहका असर देखाय।।

माना  भये  गुणी  राम, रावन  पापी  के  गुणाय।
पर कहा जरूरी जो एक और लंका जलायी जाय।।