के अब आओ एक कान्धे की
बहुत जरूरत है,
कत्ल करने को कान्धा दूसरा
चाहिए।
के अब फितरत में दुश्मनी का
जज्बा बहुत है,
आग लगाने को, एक चिंगारी
चाहिए।
के अब भले हैं सांप, उन्हे दूध की
जरूरत बहुत है,
इंसा डसते पल-पल,के उन्हें अब विष
चाहिए।
बहुत जरूरत है,
कत्ल करने को कान्धा दूसरा
चाहिए।
के अब फितरत में दुश्मनी का
जज्बा बहुत है,
आग लगाने को, एक चिंगारी
चाहिए।
के अब भले हैं सांप, उन्हे दूध की
जरूरत बहुत है,
इंसा डसते पल-पल,के उन्हें अब विष
चाहिए।
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