कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय।
ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय॥(कबीर)
कबिरा कहि के चले गये ,अब हमहु देइ समझाय।
मार काटि अब तौ बंद करौ,अब जिव गयो अघियाय।।
कौ तक करिहौ मार काट ,बेशर्मी मा उतराय।
भाई नहीं भाई क्यार,औ सब बन बइकल उतराय।।
बन शेर शाह सूरी औ राणा प्रताप बहुत लिन्हेव गंगाय।
अरे कवै बनिहौ इंसान,समाज मा ज्यहका असर देखाय।।
माना भये गुणी राम, रावन पापी के गुणाय।
पर कहा जरूरी जो एक और लंका जलायी जाय।।
ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय॥(कबीर)
कबिरा कहि के चले गये ,अब हमहु देइ समझाय।
मार काटि अब तौ बंद करौ,अब जिव गयो अघियाय।।
कौ तक करिहौ मार काट ,बेशर्मी मा उतराय।
भाई नहीं भाई क्यार,औ सब बन बइकल उतराय।।
बन शेर शाह सूरी औ राणा प्रताप बहुत लिन्हेव गंगाय।
अरे कवै बनिहौ इंसान,समाज मा ज्यहका असर देखाय।।
माना भये गुणी राम, रावन पापी के गुणाय।
पर कहा जरूरी जो एक और लंका जलायी जाय।।
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