7/05/2015

उदासीनता का शिकार -चित्रकूट ।

"नदी पुनीत पुरान बखानी
                अत्रिप्रिया निज तप बल आनी
सुरसरि धार नाऊ मन्दाकिनी
                 जो सब पात कपोतक डाकिनी"

उत्तर -प्रदेश का चित्रकूट जिला जो आस्था का उद्गम है , जहाँ मर्यादा पुरषोत्तम राम ने लगभग 11 वर्ष का समय बिताया जहाँ हर पग पे ज़मीन स्वर्ग सी पबित्र है । देश -विदेश में धार्मिक स्थलों की श्रेणी में शुमार होने वाला "चित्रकूट" आज बदहाली के बीच आस्था को समेटे हुए है । सरकारो की उदासीनता के चलते सदियाँ गुज़र जाने के बाद  चित्रकूट पर्यटन आज भी दयनीय अवस्था में है । विंध्य पर्वत की शृंखला के नीचे बसे इस कस्बे में कल -कल ,छल-छल बहती पावक मन्दाकिनी अब प्रदूषित हो अपने अस्तित्व को बचाने को बचाने की गुहार लगाती हुई दिखती है ।
          चित्रकूट का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है 'कामदगिरि मंदिर"जो भगवान जगनन्नाथ का रूप माना जाता है ।इस मंदिर की परिक्रमा 5 किo मीo का पहाड़ है जिसको श्रध्दालु अपनी आस्थानुसार पूरी करते हैं । पर यहाँ भी भरपूर अव्यवस्था देखने को मिलती है अब तक कई बड़े हादसे परिक्रमा के दौरान हो चुके हैं पर सरकारे मुवावजा दे पीठ थपथपा कर बैठ जाती हैँ । चित्रकूट  की रमणीयता देखते ही बनती है । यह भारत के प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है परन्तु प्राथमिक सुविधाओ से वंचित है । समाज सेवी स्वo "नाना जी देश मुख " ने यहाँ प्रगति के लिए काफी कुछ कार्य किया पर वो भी ऊंट के मुँह में जीरा साबित हुआ ।
          चित्रकूट की महत्ता का वर्णन पुराणों के प्रणेता वेदव्यास, आदिकवि कालिदास ,संत तुलसीदास तथा कविवर रहीम ने अपनी कृतियों में अलग -अलग ढंगों से किया है । ये ऐसी जगह है जो देश -विदेश से आने वाले पर्यटको और श्रद्दालुओ अपनी और आकर्षित करती रही है ।
          चित्रकूट में हवाई पट्टी का प्रस्ताव पास हो आधा बनाया भी जा चुका है पर गतिमान नहीं किया जा सका । इतना विशिष्ट स्थान होते हुए भी यहां पर्यटको के ठहरने के लिए उत्तम होटलो का आभाव है । और आवागमन भी डग्गामार वाहनों की बजह से दुरूह है जिसको दुरुस्त किया जाना बहुत ही जरुरी है ।
      चित्रकूट के पर्यटन का हिस्सा "गणेश बाग" जो चित्रकूट से लगभग 3 किo मीo दूर दक्षिण की ओर स्थित है । यह स्थान "श्री बाजीराव पेशवा के शासन काल में निर्मित हुआ था , यहाँ स्थापत्य कला को देखकर मालूम पड़ता है पेशवा काल में स्थापत्य कला अपने चरम सीमा में जा चुकी थी

    चित्रकूट अतुलनीय है ,यहाँ पर्यटन को बढ़ावा देने व पर्यटको की संख्या में बढ़ोत्तरी के लिए मुलभूत सुविधाओ का होना जरुरी जिससे पर्यटक चित्रकूट की तरफ खिंचा चला आये । चित्रकूट के बारे में सच ही प्रसिद्ध पंक्तियाँ हैं..
      "जेहि विपदा परत है, सो आवत ऐहि देस
        चित्रकूट में रमि रहे रहिमन अवध नरेस"
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                   शशि पाण्डेय
  

3 comments:

  1. मुगल शासक औरंगजेब हिंदुओं के मंदिर तुड़वाने और धार्मिक कट्टरता के लिए बदनाम रहा। लेकिन भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट के मंदाकिनी तट पर 'बालाजी मंदिर' बनवाकर उसने धार्मिक सौहार्द की मिसाल भी कायम किया था। इतना ही नहीं हिंदू देवता की पूजा-अर्चना में कोई बाधा न आए इसलिए उसने इस मंदिर को 330 बीघा बे-लगानी कृषि भूमि भी दान की थी। चित्रकूट में ही मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम ने अपने बारह वर्ष वनवास के बिताए थे। इसीलिए यह विशेष श्रद्धा का केंद्र बना। यहां हर माह की अमावस्या को देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है। यहां कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक मंदिर हैं जो धार्मिक सद्भावना की मिसाल कायम किए हैं। इनमें से एक है मंदाकिनी नदी के किनारे गोपीपुरम का बालाजी मंदिर। इसका निर्माण मुगल शासक औरंगजेब ने 328 साल पहले सन् 1683 में कराया था। जिसके अभिलेखीय प्रमाण अब भी मौजूद हैं। ताम्रपत्र में टंकित औरंगजेब के फरमान (जो मंदिर में मौजूद है) में उल्लेख है कि यह फरमान आलमगीर बादशाह ने शासन के 35 वर्ष रमजान की 19वीं तारीख को जारी किया है। औरंगजेब के इस फरमान को सन् 1814 में चित्रकूट के आधिपति पन्ना नरेश महाराज हिंदूपत और बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने भी स्वीकार कर बरकरार रखा। मंदिर में ब्रिटिश शासन काल में उच्च न्यायालय द्वारा प्रमाणित फारसी भाषा के अंग्रेजी अनुवाद की प्रति भी मौजूद है। मंदिर के भवन पर नगर पालिका पषिद कर्वी में कई लोग नाम मात्र की किरायादारी दर्ज कराकर अवैध कब्जा कर लिए हैं और अवैध निर्माण कर मंदिर का नक्शा तक बदल दिया। शायद देश में किसी हिंदू देवता का यह पहला मंदिर होगा जिसका निर्माण मुगल शासक औरंगजेब ने कराया है। मंदिर की दीवारें दरक चुकी हैं। पुरातत्व विभाग ने इस धरोहर को अब तक अधिग्रहीत नहीं किया है और न ही संरक्षित करने का प्रयास ही किया है।धार्मिक सौहार्द का प्रतीक का यह मंदिर सरकारी उपेक्षा से नेस्तनाबूद होने के कगार पर है।

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  2. बिलकुल सही प्रवीन जी ।

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  3. Nice description about chitracoot dham.

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