8/18/2016

सुन मोहे लागे डर (गीत )

सुन मोहे लागे डर
तू मुझसे छल न कर

तेरी बतियों  से हारी
तेरी अंखियों से हारी
दिल का सौदा कर
इस दिल से भी हारी
सुन मोहे लागे डर
तू मुझसे छल न कर

रंग नेह का दिल पर  भारी
निहारू तुझे मै बन सवाली
तेरी बातें जादू से भरी
करती मुझ कॊ मतवारी
सुन मोहे लागे डर
तू मुझसे छल न कर

महकी-महकी सी रंगत सारी
बहकी-बहकी सी रातें कारी
मन करता दिल की रखवारी
फ़िर भी सब तुझ पर वारी
सुन मोहे लागे डर
तू मुझसे छल न कर

रिवाजों की पहरेदारी
चढाते मुझ पर बेजारी
तुझसे मिलने की खुमारी
ढलते दिन पर जैसे साँझ भारी
सुन मोहे लागे डर
तू मुझसे छल न कर

दिल से ही होती धोखेदारी
छल की है ये दुनिया दारी
फूलों से होती रंग दारी
छोड़ो अब तो मतलब से होती यारी
सुन मोहे लागे डर
तू मुझसे छल न कर ॥शशि पाण्डेय ।

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