पेशा पढ़ाना ..... लिखना शौक और ज़रूरत है ।खुल्ला पत्रकारिता ,सामाजिक ऐब और कलम !!😊😊
10/06/2016
कभी - कभी ये चंचल ,मन मेरा
ऐसे दुखता, कैसे बाँटू मन की पीड़ा
बाहर होती सीने , की सीमा रेखा
ऐसे पार ,सांसो का संसार होता
बढा न आगे कदम, तो घट जायेगा
थम गया , तो यही मिट जायेगा
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