10/09/2016

आप दायें -बांये मुड़ सकते हैं । ( व्यंग्य लेख )

आप दायें -बांये मुड़ सकते हैं 
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जी हाँ आप बायें मुड़ सकते हैं । और इतना ही नहीँ आप दायें ,बायें अथवा यू टर्न ले सकते हैं । ऐसा अक्सर सड़कों पर बोर्ड लगा दिख जायेगा । ये तो रही  सड़कों की बात लेकिन ऐसा हम सब अपनी -अपनी जिंदगियों में तब कर सकते हैं...जब थूक कर चाटने की गुंजाइश न बची हो...लेकिन बच कर कल्टी मारना भी ज़रूरी हो ! उदाहरण शरीफस्तान ।

ये तरकीब उनके लिये काफ़ी कारगर है जो लम्बी - लम्बी डींगें हांकते हैं । कुछ दिनों पहले एक सेल्स मैन ने दरवाजे पर दस्तक दी । काँच के आइटम जिद करके दिखा रहा था । उसके  दिखाने का तरीका बड़ा अनोखा था...आपस में बर्तनो को कई बार बजा -बजा कर दिखा रहा...दावे किये जा रहा था बरतन नहीं टूटेंगे कि तभी अचानक एक बर्तन में ठोकर लगी और टूट गया फ़िर क्या था मैने उस पर पलटवार करते तनिक देर न लगायी...वो बेचारा करता क्या बाँधा सामान और बांये मुड़ चंपत हो लिया ।

यह बांये मुड़ना पडोसी मुल्क शरिफस्तान  (पाकिस्तान ) के लिये बेहद उपयुक्त क्रिया है । क्योंकि उसको अक्सर ऐसा करना पड़ता है । लेकिन इसको  ऐसा नहीं करना पड़ता क्योंकि इसके द्वारा भेजे गये आतंकी पहले तो मार दिये जाते हैं और बचते भी हैं तो बम फोड़ खुद को उड़ा बांये उड़ जाते हैं ।

बांये - दायें की बात हो और वामपंथी और दक्षिणपंथी नाम के भूत को छोड़ दे ऐसे कैसे बने बात । भारत में सिर्फ़ बायें दायें का मतलब सिर्फ़ दिशाये नहीँ होती । यहाँ बायें दायें का मतलब वो संगठन होते हैं जो सरकारों को क्रांतिकारी रुप से पटक -पटक कर सरकाते हैं ।

ये बायें दायें संगठन इतने बड़े दुश्मन कि सीरिया और इजरायल की दुश्मनी भी इनके सामने पानी भरे । फ़िर भी आम लोग दायें बायें का मतलब दिशा ही मानते हैं । अब तक मेरे लिये भी यह सिर्फ़ दिशाये थी 
लेकिन अब पता चला इसके और भी अर्थ होते हैं ।

चुनाव हो तो ये दायें बायें का करिश्मा अपने चरम पर होता है । जाने कब ,कौन ,कहाँ कालातीत हो कल्टी मार जाये कुछ कयास लगाना भी सोच से बाहर । राजनीति के तोड़ भांज में क्या से का क्या हो जाता है श्रीराम बोले तो दायें...लाल सलाम बोले तो बायें । ये राजनेता इतना इधर -उधर आते जाते की इन्हे इस्तीफा देना हो तो साला भूल जाते हैं कि थे किस पार्टी से ।

दायें बायें का और मतलब निकाले तो...देखते हैं सफेदपोशो के अपने बयानों के साथ  क्या बोल कर कब दायें -बायें होना है ये दायें -बायें वाले भी नहीँ जानते । कभी -कभी बंदर देख सोचती हूँ बंदर ने दायें - बायें से...दाये -बायें होना सीखा या बंदर से दायें -बायें बना । ये कह जाते हैं फ़िर जाते हुये उठा भी ले जाते हैं और कहे को न कह जाते हैं । कहे के ,न कह गये को मीडिया कहकहा बना अपनी शाम हसी कर लेती है । दो चार मुसरचंदो को बैठा माहौल बना किसी पार्टी की मशखरी कर लेते हैं । दायें से दस गुना और बायें से बेगार खूब सटीक होता है।

कल मारकेट जाते हुये कुछ नज़ारा ऐसा...दो ट्रैफिक पुलिस वाले चौकसी के साथ मुस्तैद थे उनमें से एक के पास दो कार वाले बहसियाते दिखे...तभी एक बाइक पर तीन सवार दिखे..बेचारे बहुत दायें - बायें करने के बाद भी पुलिस से बच ना भाई ऐसे लोगों को कभी-कभी दाएं बाएं भी नहीं बचा पाता एक खयाल ऐसा भी की "खुदी को कर इतना बुलंद दाएं बाएं दिशाये भी पूछे कि तुझे जाना किस दिशा है"

अच्छा ख्याल आया कभी-कभी होमवर्क ना कर के आने पर बच्चे भी खूब दाएं-बाएं ब करते हैं। तरह तरह के बहाने बनाते, बच्चे कब अपने ही बातों पर फंस जाते हैं और टीचर को हॉरर बना देते हैं ।क्या करें यह दाएं-बाएं का चक्कर होता ही ऐसा है। जिम्मेदार बनो या फिर  दाएं बाएं हो जाओ  । ये दाएं बाएं भी किसी भौकाली से कम नहीं लगता ।

कभी-कभी कुछ लोग तो आदतन भी दाएं-बाएं होते हैं प्राइवेट सेक्टर में लोग दाएं-बाएं करने की तड़ीपार कर जाते हैं । और तड़ीपार करने का तरीका बड़ा ही स्पष्ट सार्थक सुष्ठु होता है लेकिन तड़ीपार करने की प्रक्रिया में संभावनाएं बहुत होती है लेकिन रिस्क भी उतना होता है ।

बात निर्मल बाबा की हो तो मजाल है भगवान और भाग्य दाएं-बाएं हो जाए उनके द्वारा भाग्य को इतनी रसगुल्ले और मिठाइयां खिलाई जाती है कि भाग्य क्या नौ ग्रह भी हमारे हिसाब से चलने लगते हैं भला हो निर्मल बाबा का यह मेरे प्रश्न हमेशा उत्सुकता का विषय रहा है कि रसगुल्ला खाने से कुछ फायदा होता है क्या या सिर्फ जीभ रसस्वादन होता है खैर यह विश्लेषण का विषय है रसगुल्ले और निर्मल बाबा के बीच की बात है हम क्यों पैर और टांग घुसाए ।

निर्मल बाबा से आगे बढे तो पाएंगे गुरु घंटाल पुजारी भी कम दायें-बाएं नहीं घुमाते हैं भविष्य का डर दिखा खूब दान-दक्षिणा में दाएं-बाएं कर जाते हैं । वैसे यह गुरु घंटाल बड़े ही आत्मन्वैषि होते हैं ।मेरा तो इतना ही कहना है

तू कर दाएं- बाये की 
पूरी दुनिया है 
तेरे दाएं-बाएं॥

मैं भी मन का सघन चिंतन करती हूं और आप से अब दायें -बाये होती हूँ ।

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