7/10/2016

दौर ए शेल्फी ( व्यंग्य लेख )

कल सब्जी लेने के लिये मारकेट जाना हुआ । वहाँ दो लड़कियाँ कद्दू उठा शेल्फी ले रही थी । ये शेल्फी का अंदाज़ आजकल चिरपरिचित है ।कहीं भी ,किधर जाओ यहाँ तक घर ,घर मॆ किचेन और बाथरुम तक इस क्रिया से बचे नही ।
शेल्फी जिसका हिन्दी अनुवाद खुदखेँचू कहा जाता है। वैसे खुदखेचू कहना थोड़ा अटपटा सा लगता है ।इसका प्रारम्भिक इतिहास विदेशी है । हमारे यहाँ ज्यादा टेक्नली चीजे आयातित ही होती हैं। इसके आने से काफी चीजे बदली हैं। फोटो खिचाई के लिये किसी का मुँह तो नही ताकना पड़ता ।
सोशल मीडिया का यह समय कलियुग का भक्तिकाल कहलाये जाने का श्रेय प्राप्त करेगा । ज्ञान मार्गी और प्रेम मार्गी दोनो धारायें इस समय एक साथ, एक जगह कार्य कर रही हैं । जिसकी कोइ नही सुनता ,जिसको कोइ नही देखता सब सोशल मीडिया पर उतार उंडेल दिया जाता है ।आखिर हो भी क्यों न यह अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम जो ठहरा ।
सोशल मीडिया के इस दौर मॆ इससे अछूते लोगो को  पिछड़ी मानसिकता का समझा जाता है। खैर बात शेल्फी की हो रही है यह बेहद ही पेचीदा और संजदगी  भरा मामला है ।
शेल्फी ने किरदार के साथ - साथ फोटोग्राफर यानी खुद को दिखाने का मौका दिया । दौर ए  खुदखेचू के पहले तक किरदार चित्र मॆ तो दिखता था पर उसको दिखाने वाला नही । ठीक वैसे ही जैसे ब्रम्हा की बनाई  सृष्टि तो दिखती है पर सृष्टि कर्ता नही ।
यह एक बड़ा ही रचनात्मक कार्य है । किस कोण से मोबाइल पकड़ा जाये की आप जो दिखाना चाहते हैं  वो और आप दोनो उस खिड़की मॆ समा जायें । पुरुषों के लिये यह क्रिया महिलाओ की अपेक्षा थोडा  जोखिम भरी होती है वजह खतरनाक खुदखेचू लेते हैं।
हालाँकि खतरनाक शेल्फी के अलावा पुरुषों मॆ भी स्लिम दिखने की चाहत पाई गई है । जिन पुरुषों की तोंद होती है वह खुद खेचू के दौरान कपालभाती करते हैं नज़र आते हैं ।
महिलाओ की खुद खेचू रचनात्मक होती है वह सबसे पहले यह देखती हैं कि किस कोण से वह खूबसूरत दिखने के साथ -साथ स्लिम कैसे दिखे यह कोशिश होती है । एक शेल्फी का तरीका जिसमॆ महिलाये होंठो को अजीब तरह से तोड़ -मरोड़ कर शेल्फी लेती हैं जिससे वो अक्सर हँसी का पात्र भी बनती हैं । पर फ़िर  भी यह प्रक्रिया काफी चलन मॆ है ।
वैसे लोग शेल्फी को लेकर अजीबो -गरीब टाइप की हरकतें करते दिखते हैं । कोइ पापुलर पर्सनाल्टी दिख जाये तो शेल्फी की होड़ लग जाती है । इससे अलग हम फ्रेंड्स शेल्फी की धज्जियां उडाते थे किसी भी आते -जाते इंसान को फोन थमा कहते एसक्यूजमी ज़रा हमारी शेल्फी लेना....फोटो लेने वाला भी दो मिनट सोच मॆ पड़ जाता है ।उसके जाने के बाद हम खूब हँसते ।
कभी -कभार ये शेल्फी प्रक्रिया मोक्ष के रास्ते भी ले जाती है । हालाँकि शेल्फी मोक्ष प्रक्रिया के चलते बचाव हेतु समय -समय पर जनहित मॆ सूचनाएं जारी की जाती हैं। खैर अपना तो यही संदेश है लोग खूब शेल्फी ले सुंदर दिखे ,सुरक्षित रहें ।

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