7/15/2016

मै और मेरी नींद (कविता )

मै और मेरी नींद रोज़ सुबह बाते करते हैं
काश तुम न होती अच्छा होता

काश तुम न होती तो
बिस्तर छोड़ते मुझे दुख न होता

काश तुम न होती तो
हर सुबह छुट्टी कर लूँ क्या ?न होता

काश तुम न होती तो
आँख खुलने के बाद भी आलस न होता

काश तुम न होती तो
अलार्म के बाद भी पाँच मिनट और न होता

काश तुम न होती तो
बिस्तर से बाथरूम जाने तक मुझे टाईम न लगता

काश तुम न होती तो
उँघते हुये ब्रश न करना पड़ता

काश तुम न होती तो
ये न होता ,वो न होता ,मेरे मे बस मै होता ॥शशि पाण्डेय ।

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