7/06/2016

हो रही बकवास ( व्यंग्य कविता )

घोडो को मिलती घास
गधे खा रहे अनानास

झाड़ फूस को आस
जाने कब बने अमलतास

बजते ढोल ,बीन और तास
बहरे बन बैठे अमीरदास

बड़े - बड़े यहाँ तमाश
स्वारथ पर ही सबका विश्वास

भ से भरोसा,भ से भड़ास
झूझत जनता चुनाव बाद

कऊवा पहनते हैं लिबास
हँस  झेलते  कष्ट  पचास 

होते  बहुत  प्रस्ताव  पास 
फ़िरहु निट्ठल्ले करते बकवास ॥
शशि पाण्डेय

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