5/01/2016

शिफ्ट में शिफ्टिंग( व्यंग्य लेख)

सुबह उठते आंख मीचते लल्लन जी को अचानक परेशान हो यहाँ वहाँ भागते देख पत्नी ने पूछा.....ऐसे क्यों अफरा- तफरी मचा रखी है,तो लल्लन जी ने बताया कि आज उनकी सुबह की शिफ्ट है उनको याद ही नहीं रहा और देरी से उठने के कारण अब आॅफिस जाने की जल्दी है ।लल्लन जी जब भी शाम की शिफ्ट करके लौटते चिन्ता मुक्त हो रात को घोड़े गधे बेच सो जाते और हर सुबह ऐसे ही भागते नजर आते।उनका ये हाल, शिफ्टो में बटी नौकरी ने कर रखा था।पर करता क्या न मरता बात रोजी रोटी की थी उसके लिये जैसे और जितने भी सितम होते सहना ही था।शिफ्ट का सितम इतना की लल्लन जी के पाकिस्तान जाने -आने के शेड्यूल पर भी असर हो जाता और तो और उनका पेट भी उनसे बदहजमी के साथ-साथ तरह -तरह की शिकायते करता।बात सिर्फ लल्लन जी के शिफ्ट की होती तो ठीक था पर यहाँ बच्चों के जागने -सोने भी शिफ्ट आगे -पीछे चलती  थी जिसके कारण कई बार लल्लन जी के निद्रा में भी खलल पड जाता और लल्लन जी झल्लाहट से भर जाते ।सच सरकारी मुलाजिम हो या गैरसरकारी दूसरे के नीचे रहकर नौकरी करना उस पर भी शिफ्टो की,उतना ही दर्द देती है जितना कभी बेरोज़गारी दर्द देती थी।शिफ्टो में नौकरी इतनी भयानक होती है हमने आपने और लल्लन जी ने सोचा भी नहीं रहा होगा।मामला यू था कि लल्लन जी के सहकर्मी कन्हैयालाल थे वो उनकी धर्मपत्नी दोनों ही शिफ्टो की नौकरी करते। कन्हैया सुबह जाते तो पत्नी शाम को ऐसे करते बमुश्किल वो आपस में मिल पाते यूँ चलते -चलते दोनों के बीच झगड़े होते-होते एक दिन दोनों अलग हो गये।तब से यह बात सुन लल्लन जी थोड़ा परेशान से रहते हैं हालांकि उनकी पत्नी नौकरी नहीं करती पर फिर भी लल्लन जी की तीसरी आँख अब खुली रहती थी      ।यही नहीं लल्लन जी कभी -कभी सोच में पड़ जाते कि जनसंख्या इतनी बढ गयी इसलिए शिफ्टो में नौकरी है या कर्मचारियों की संख्या बहुत हो गयी है।शिफ्ट के असर का साइडइफेक्ट इतना ही न था पडोस और आॅफिस में जिन सुन्दरियों को देख लल्लन जी के फेस पर जो ग्लो आता था उससे भी वह हांथ धो बैठते थे।  एक दिन लल्लन जी दफ्तर निकल रहे थे तभी पडोस मे रहने वाले मिट्ठू दुबे ने आवाज लगा कर पूछा। क्या हालचाल,कहा रहते हैं दिखते ही नहीं....
लल्लन थोड़ा दुखी अंदाज़ में....हम ठीक हैं, आप सुनाइये।दुबे जी ने जवाब देते हुये कहा हम ठीक हैं और बताइये क्या चल रहा है!!लल्लन जी बिना देर किये हुए बोल पड़े कुछ नहीं चल रहा ,नौकरी शिफ्ट में चल रही है और हम शिफ्ट पर।दुबे जी पडोसियो वाली हंसी हंसते हुये निकल गये लल्लन मेरी ही तरह समझ न पाये दुबे जी क्यों हंसते हुये चले गये और लल्लन जी अपनी शिफ्ट पे चल दिए

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