केहकर टाठी केहकर दार
किसान कहि-कहि
मोह रही सरकार
जनता जाये भाड़ मा
कौनो देखाय न खेवनहार
दूध जरे छाछौ फूक कै पीबे
बिन टीवी,लपटाप वोट न देबे
अइहौ जौ परचार मा
देखब तुम्हरी बकलोली
देखाय देबे हमहु
तुमका आपन ठिठोली
सूखा कहि-कहि
बटोरेव धन मारम मार
अब मिल बांट कै खांय मा
अंधेर मचाएव रहे हौ रार ॥शशि पाण्डेय
किसान कहि-कहि
मोह रही सरकार
जनता जाये भाड़ मा
कौनो देखाय न खेवनहार
दूध जरे छाछौ फूक कै पीबे
बिन टीवी,लपटाप वोट न देबे
अइहौ जौ परचार मा
देखब तुम्हरी बकलोली
देखाय देबे हमहु
तुमका आपन ठिठोली
सूखा कहि-कहि
बटोरेव धन मारम मार
अब मिल बांट कै खांय मा
अंधेर मचाएव रहे हौ रार ॥शशि पाण्डेय
बहुत सुन्दर रचना शशि जी बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना शशि जी बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना शशि जी
ReplyDeleteअच्छी चोट की है आपने...
ReplyDeleteअरे वाह ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना बधाई जी
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना बधाई शशि जी
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