9/10/2016

चाँद के पार पानी (व्यंग्य लेख )

चांद के पार पानी

"चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो"। अब मुझे समझ आया इस गाने को रचने वाले गीतकर को वैज्ञानिकों के रिसर्च के पहले ही भान हो गया था कि धरती से दिखने वाले चमकीले चांद पर पानी है।तभी उसने ये लाइनें गढी थी शायद । वैसे  चांद का नाम आते ही मन रोमांटिक हो जाता है।मन को ठंढक सी मिलती है।मेरे मन की उपज इस ठंढक की वजह हो न हो पानी ही होगा ।चांद की चांदनी कितने ही मनो  को शीतल  करता है।  पर यहाँ चांद को  चांद की शीतलता वश याद नहीं किया। वो क्या है कि अपन के नीले ग्रह में पिछले कुछ सालों से पानी 🏄को लेकर हालात खस्ता होते जा रहे हैं इसलिए।भई गांव हो या शहर पानी की बड़ी मारा -मारी है। ऊपर से ये टीवी 📺 वाले और जीने न देते।इनकी पानी वाली खबरें सुन मेरा तो दिल 💘ही बैठ जाता है।घर में बैठे-बैठे ही लू के थपेड़े से लगने लगते हैं।जहां पानी की दिक्कत है वहाँ तो है ही ,जहां नहीं है उनको सुकुन से रहने नहीं देते।

                       पड़ोस वाली शर्मा भाभी ने बताया उन्होंने कोई खबर देखी है जिसमें बताया गया कि चांद में पानी मिलने की पुष्टि हुई है। भई गर्मी में पानी से जुड़ी खबरों पर नजर अपने आप जा पहुंचती।अब तो मैंने भी सोच लिया है कौन रोज -रोज पानी की किल्लत से दो चार होये।सुबह-शाम पानी की मोटर चला-चला चेक करते रहो.......सुबह तो नींद में आंखें 👀मलते उठना और कई बार इतनी नींद में होते हैं कि दीवारों से भी भिड जाते हैं ।ये हाल तो मध्यम वर्गीय परिवारों का है ।निम्न वर्ग को तो यह सौभाग्य हर दो या तीन दिनों में ही मिल पाता है ।हां धनी वर्ग इस सौभाग्य से वंचित रह जाते हैं क्यों....क्योंकि आपको पता ही है,क्योंकि उनके पास ऐश ओ आराम की सारी चीजें उपलब्ध हैं इसलिए।

                   खैर पानी को ढूंढते -ढूंढते पृथ्वीवासी चांद और चांद के पार मंगल तक पहुँच चुके।पृथ्वी में पानी के दिन लद गये और लोगों के भी। अन्नदाता मर रहा है और अन्न लुप्त होता जा रहा है।लोग बिन पानी प्यास से मर रहे हैं।जानवरों को अपना भोजन मतलब घास नसीब नहीं हो रही ।जानवर भी भूख और प्यास से मर रहे हैं।इसके बावजूद सरकारें मस्त और जिनको पानी नसीब वो लोग खुशनसीब।वैसे हर चुनाव में पानी की अहम भूमिका रहती है ।अब तक पानी न जाने कितनों को पानी पिला चुका है ।और जो जितने घाटों का पानी पी चुका वो उतना ही सयाना होता है।कुछ लोग जो ज्यादा भाग्यशाली होगे वो लोग धरती में पानी लुप्त होने के बाद चांद, मंगल व उन ग्रहों में जा सकने में सफल होंगे।

               क्यो पानी का धोहन लगातार किया जा रहा है कोइ समझने को नहीं तैयार आने वाले समय में किन परिस्थितियों का सामना करना होगा इस हकीकत से अनभिज्ञ हैं ।प्रकृति से छेडछाड की कीमत हम सभी को चुकानी ही पड़ेगी और जिसकी शुरूआत हो चुकी है।बेमौसम असमय बरसात ☔,ठंड का न पड़ना,सूखा पड़ना ये सब मानव जगत को चेताने का काम है पर अफसोस हम सब सो रहे हैं और सोते -सोते मर जायेंगे।पर हम अब भी हाथ में हाथ धरे हो रहे हैं।भारत सहित विश्व के कई बड़े इलाके सालों से सूखे से जूझ रहे हैं ।सुनने में आया है कुछ सालों मे सुखे और पीने के पानी की कमी से जूझने वाले लोगों की संख्या अरबों के पार होगी।

              खैर अपन को क्या!!अपन के घर तो अभी धका-धका पानी आ रहा है बॅास, जब तक अरबों वाली गिनती में मेरा नाम शामिल होने का नंबर आयेगा तब तक मैं अपना बैग लगा चुकी होऊंगी, और चांद या चांद से आगे मंगल तक जाने को।आप सब भी सोच लीजिए की आपको क्या करना है यही रहना है या चांद के पार चलना है। 

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