मुँह की किताब और फीलिँग्स के प्रकार
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फीलिंग लवली.....आज एक दोस्त का फेसबुक स्टेटस देखा....इस फीलिंग के साथ पोस्ट लगाई गई थी । यह एक उदाहरण मात्र था । अब फेसबुकीय प्राणी जाने क्या - क्या फील कर फीलिंग स्टेटस लगाते हैं । ये फेसबुक जब तक न था तब तक इतनी फिलिँग्स नहीं होती थी । तब तक इंसान फिलिँग्स के मामले में गरीब हुआ करता था....जुम्मा -जुम्मा दो या तीन ही तरह की फीलिंग्स रख पाता था। विदाउट फेसबुक.... दुखी ,खुशी, गुस्सा यही भावनाये ही व्यक्त कर पाता वह भी जब कोई उससे पूछता कि....भई दुखी से नज़र आ रहे हो या बड़े खुश...और गुस्सा तो चीज़ ऐसी की अपने आप दिख जाता ।
सोशल मीडिया का ज़माना और इस सोशल मीडिया के विस्तार के साथ -साथ ज़माने में लोगों के सोच -विचार की क्षमताओं का भी अदभुद विस्तार हुआ। ऐसा मेरा सोचना है । अब लोग भावनाओ को भिन्न -भिन्न प्रकार से महसूस करते हैं । अच्छा ये फेसबुक की फिलिँग्स चाइनीज फूड के नामों की तरह लगती लगती हैं । आज मौजूदा समय में फेसबुक ने हमारे लिये 118 फीलिग्स की सुविधा मुहैया करा रखी है । यह मेरी फेसबुकीय फिलिँग्स के शोध का निचोड़ है। सो माई मौजूदा करेंट स्टेटस ....फीलिंग एनरजाइस्ट...फीलिंग डिलाइट।
हालाँकि कुछ फिलिँग्स को जानने समझने के लिये अँग्रेजी शब्दकोष की भी शरण में भी जाना पड़ता है ।
भई ये तो कमाल हो गया हम क्या ,किस तरह का महसूस कर रहे हैं इसको समझने के लिये डिक्शनरी देखनी पड़ती है । फेस बुक पर लोगों के स्टेटस के अनुसार ही , लोगों की सम्वेदनाई प्रतिक्रिया भी मिलती है । अच्छा इन फिलिँग्स के प्रकार इतने होते हैं कि कई बार स्टेटस अपडेट करने में कन्फ्यूजन होती है ।
मेरे दूर के भाई हैं एक उनकी सास समाप्त हो गई । उनका फोन आया...बोले बहना मै बहुत बड़ी दुविधा में हूँ ।मैंने पूछा हुआ क्या ? उन्होंने कहा मुझे फेसबुक पर स्टेटस डालना है पर सिर्फ दुखी वाला नहीं क्योंकि यह सामान्य सा लगेगा, कुछ ऐसा बताओ कि फीलिंग और फिलिँग वाला फेस देखते ही कलेजा मुँह को आ जाये । क्या़ करूँ मै ...तुम तो ऐक्टिव रहती हो फेसबुक पर तुम्हें ज़्यादा पता है...बताओ क्या डालूं ।
उनके इस प्रश्न ने मुझे भी निरुत्तर कर दिया । भई अगर सिर्फ़ दुख हो तो सैड फील शेयर कर देते पर मुद्दा थोड़े से ज़्यादा गम्भीर वाला था, कलेजा मुँह को लाना था ।
यह फेसबुकिया समाज का आधुनिक दुख था । हमने कहा रुको समाधान करते हैं, यू डोंट वरी.... तुमने हमें कृष्ण की भाँति समझ , सुदामा बन फोन किया है हम बताते हैं । आखिर हम ठहरे फेसबुक फिलिँग्स के रिसर्च स्कॉलर ।
हमें उनके दुख का रौद्र रुप दिखना था , कलेजा मुँह को लाना था । हमने कुछ कलेजा मुँह को लाने वाली फिलिँग्स छांटी जो इस तरह थी....
सैड
इमोशनल
अपसेट
पैनिक
हार्टब्रोकेन
फेडअप
अम्युज्ड
लॉस्ट
लो
होपलेस
डिप्रेस्ड
अब इस संग्रह से कौन सी फीलिंग छांटे ये बड़ी मशक्कत की बात थी । हमने उनको ये लिस्ट थमाई और अपनी फिजा बनाई और कुछ लौजिकल बातें समझाई । क्योंकि हम जिम्मेदार थे । उन्होंने अपना फीलिंग "हार्टब्रोकेन" का फेस चिपका कर सास के दुनिया से चले जाने का दुखद....कलेजा मुँह को आने वाला संदेश आखिर कार सम्पन्नता पूर्वक पोस्ट कर राहत की साँस ले प्रसन्न हुये और खुश हो कर...फोन कर हमें आभार व्यक्त किया । हम भी खुश हुये कि हमारा शोध किसी के दुख में सहारा तो बना।
वैसे जो इन फिलिँग्स को नहीं जानता आज के समय में विवेकहीन प्राणी है । वह असमझ दिव्यदृष्टा है । 118 फिलिँग्स के होते हुये खुद के लिये एक फीलिंग भी न छांट पाये तो उसके लिये...."सब धान बाइस पसेरी" हैं । इससे ज़्यादा जूकरबर्ग क्या कर सकता है । शरीर नश्वर है ,मगर फिलिँग्स अमर । सो फिलिँग्स को समझिये यही वो तरीका और हुनर है जो इंसान को इंसान बनाता है ।
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