9/10/2016

घोडो को मिलती घास (व्यंग्य कविता )

घोडो को मिलती घास 
गधे खा रहे अनानास

झाड़ फूस को आस 
जाने कब बने अमलतास

बजते ढोल ,बीन और तास
बहरे बन बैठे अमीरदास

बड़े - बड़े यहाँ तमाश 
स्वारथ पर ही सबका विश्वास

भ से भरोसा,भ से भड़ास 
झूझत जनता चुनाव बाद

कऊवा पहनते हैं लिबास 
हँस  झेले  दुख पचास 

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